Saturday 7 September 2013

दोनों ने जवानी में कदम बस रखे ही हैं


स्कुल यूनिफार्म में सामने से आ रही उस लड़की पे नजर पड़ी .........बायीं ओर देख के वो लगातार मुस्कुरा
 रही थी ......मेरी नजरें बरबस बायीं तरफ गयीं ......उस ओर अपने छोटे से किराने की दूकान में एक
 लड़का बैठा मुस्कुरा रहा था … दोनों एक दुसरे को देख रहे थे…… लड़की की नजर जैसे ही मेरे पे पड़ी…
 नजरें झुका के वो तेजी से निकल गयी……. लड़के की तरफ देखा.... वो भी मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देख
 रहा था.... मैं दफ्तर की ओर बढ़ गया ………….दोनों ने जवानी में कदम बस रखे ही हैं

1 comment:

  1. खूबसूरत.... कितना मासूम.... पर साथ ही कितना ओजपूर्ण.... लड़कपन सचमुच प्यार करने कि आदर्श उमर है....

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